महात्मा गांधी के बारे में ज्यादा जानने की दिलचस्पी रखने वालों को जल्द ही उनके दैनिक जीवन की कठिनाइयों का अनुभव करने और देश भर में 100 से अधिक स्थानों पर उनके आदर्शों को जीने का मौका मिलेगा। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय मिलकर ‘गांधी-थीम होमस्टे’ ला रहे हैं। इसमें टूरिस्टों को गांधीवादी तरीके से जिंदगी जीने का अनुभव मिलेगा। यह आइडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी के 150वीं जयंती से जुड़े समारोह की तैयारी के लिए होने वाली एक मीटिंग में दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, संस्कृति मंत्रालय गांधी जयंती समारोह के लिए पूरी तैयारी कर रहा है। वहीं, पर्यटन मंत्रालय को गांधी स्मृति को गांधीवादियों और गांधी आश्रमों की पहचान करने का जिम्मा दिया है, जो स्वयं-सहायता, अहिंसा, स्वदेशी का उपयोग, दैनिक भोजन के लिए काम करना, आत्म-संयम और शाकाहारी भोजन जैसे गांधीवादी तरीके का पालन करें।
यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या उनके पास होमस्टे ऑफर करने का लॉजिस्टिक्स है और अगर है तो उसे कैसे बढ़ाया जा सकता है। गांधी स्मृति राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित एक संग्रहालय है, जो संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आता है। पिछले हफ्ते तक देशभर में 15 ऐसे इंस्टीट्यूशन की पहचान की गई है, जहां एक हफ्ते में प्रोग्राम शुरू किया जा सकता है। गांधी स्मृति के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें 15 अगस्त तक पूरी लिस्ट देने के लिए कहा गया है।
एक अधिकारी ने कहा कि हम उन संस्थानों की लिस्ट अपडेट कर रहे हैं, जो गांधीवादी उसूलों पर चलते हैं। हम उनके खाने और अस्थायी आवास की व्यवस्था के बारे में भी जानकारी जुटा रहे हैं। यहां 500 से ज्यादा संस्थान हैं, जो इस क्षेत्र में काम करते हैं। हम उनमें हरेक से बात कर रहे हैं और उनके पास मौजूद सुविधाओं की जानकारी ले रहे हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इन स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाने की कोशिश की जाएगा। हमारा ज्यादा जोर उन लोगों को लाने पर है, जिनका महात्मा गांधी से ऐतिहासिक संबंध है।
अधिकारी ने बताया कि सुबह की प्रार्थना, सैर, बगीचे का काम, खाना बनाना और सफाई करना, स्नान करना और बिना साबुन के शेव करना, चरखा चलाना, ध्यान लगाना, पत्र लिखना, भजन, ग्रामीण यात्राएं, सादा भोजन और खादी के कपड़े जैसी दिनचर्या का काम हम संभालेंगे। हालांकि, संस्थाएं लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए खुद के कार्यक्रमों को एक साथ रख सकती हैं।
अधिकारी ने कहा की गांधी भोजन को लेकर काफी सजग थे। उन्होंने नमक, गाय के दूध या यहां तक कि दलिया को लेकर बात की है। हालांकि, उन्होंने खाने की पसंद को किसी पर थोपा नहीं था। इसलिए हमने शाकाहारी भोजन का विकल्प दिया है।