भारत में कुछ एक जगहें ऐसी हैं जो मानसून में घूमने-फिरने के लिए हैं बेस्ट। हरे-हरे घास के मैदान पर रंग-बिरंगे फूलों की बिछी चादर देखकर ऐसा लगता है जैसे आप किसी फिल्म के शूटिंग लोकेशन पर घूम रहे हैं। घूमने के अलावा ये जगहें फोटोग्राफी के लिहाज से भी हैं बेहतरीन। तो आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में।
फूलों की घाटी, उत्तराखंड
मानसून प्रकृति में कितने परिवर्तन ला सकता है इसका साक्षात अनुभव यहीं हो सकता है। बरसात के दौरान यहां चार सौ से ज्यादा प्रकार के फूल खिलते हैं। फूलों की घाटी धरती की सुंदरतम जगहों में से एक है। बारिश के मौसम में जब लगभग सभी रंगों के फूल खिलते हैं, तो यहां घूमने का आनंद कई गुना बढ़ जाता है। फूलों से प्रेम करने वालों के लिए यह स्थान स्वर्ग है। दोनों ओर से पहाड़ों से घिरी घाटी हो, पहाड़ों पर फैली गहरी हरियाली हो और उस हरियाली से निकलते रंग-बिरंगे फूल हों। कहीं दूर से उठती धुंध और उसके ऊपर काले सफेद बादल का साम्राज्य हो फिर पास ही कहीं ऊपर से बहकर आते पानी की कल-कल का मधुर संगीत हो तो मन क्यों न रुक जाए। इन सबके बीच वहां विचरने का आनंद कौन न उठाना चाहेगा। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित यह घाटी एक राष्ट्रीय उद्यान और यूनेस्को द्वारा संरक्षित स्थलों में से एक है। बरसात में ट्रेकिंग पसंद करने वाले लोगों के लिए यह एक आदर्श स्थान है। यही कारण है कि देश-विदेश से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। बर्फ, पहाड़, बादल, झरने, हरियाली और विभिन्न प्रकार के पुष्पों का अद्भुत संयोग यहां के अलावा कहीं नजर नहीं आता।
कब जाएं
जून से अक्टूबर के बीच
यमथांग वैली, सिक्किम
वैसे तो नॉर्थ ईस्ट की हर एक जगह बहुत ही खूबसूरत है लेकिन सिक्किम के यमथांग वैली जैसा अनोखा नजारा शायद ही यहां कहीं और देखने को मिले। समुद्र तल से 11,693 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस वैली आकर आप तरह-तरह के रंग-बिरंगे और खूबसूरत फूल देख सकते हैं। रोडोडेंड्रन फूलों की कम से कम 24 वैराइटी यहां देखने को मिलती है। यहां आकर आपको बिल्कुल ऐसा लगेगा जैसे आप फिल्म के किसी रोमांटिक लोकेशन पर घूम रहे हैं।
कब आएं
फरवरी से जून तक
जोखू वैली, नागालैंड
उंचे-नीचे हरे पहाड़, रहस्य से भरे भूतिया ठूंठ, नीला आसमान, बीच में शीशे सी चमकती नदी। इन सबके बीच बैंगनी रंग के जोखू लिली के फूल, जो दूसरे सफेद, पीले व लाल रंग के फूलों के साथ एक इंद्रधनुषी पेंटिंग तैयार करते हैं। जोखू लिली के फूल यहां के अलावा कहीं और नहीं मिलते और वह भी सिर्फ मानसून में। यहां पहुंचने का रास्ता थोड़ा मुश्किल जरूर है, लेकिन ‘स्वर्ग’ कहां आसानी से दिखाई देता है। करीब एक घंटे की खड़ी चढ़ाई के बाद आगे बांस के झुरमुटों के बीच से करीब 3 घंटे की ट्रैकिंग के बाद आपको इस खूबसूरत वैली की पहली झलक देखने को मिलती है। समुद्र तल से 2452 मीटर की उंचाई पर स्थित इस घाटी तक पहुंचने के लिए मणिपुर या नगालैंड का कोई भी रास्ता अपनाया जा सकता है। मणिपुर के माउंट इशू के रास्ते यहां पहुंचा जा सकता है, लेकिन पहली बार जाने वालों के लिए नगालैंड के विशेमा से होकर जाने वाला रास्ता कहीं ज्यादा आसान है।
कब जाएं
जून से सितंबर के बीच