Vadakkumnathan Temple
Vadakkumnathan Temple

अगर आप किसी आध्‍यात्मिक यात्रा पर जाना चाहते हैं या फिर किसी ऐसी ट्रिप के बारे में सोच रहे हैं जो कि धार्मिक भी हो और अद्भुत भी। तो आप अपनी ‘प्‍लेस टू गो’ लिस्‍ट में केरल के त्रिशूर का नाम लिख सकते हैं। यहां पर ‘वडक्‍कुमनाथन’ नाम का भोलेनाथ का अद्भुत और अलौकिक मंदिर है। ऊंचे पहाड़ी इलाके पर बसे इस मंदिर में शिव के दर्शनों के लिए श्रद्धालु दूर-दूर आते हैं। लेकिन एक खास समय पर यहां लोगो का तांता लगा रहता है।

कैलास का प्रतिनिधित्‍व करता है मंदिर का शिवलिंग


‘वडक्‍कुमनाथन’ मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग का अभिषेक घी से किया जाता है। इसके चलते मंदिर का शिवलिंग हमेशा ही घी से ढका रहता है। पारंपरिक मान्‍यताओं के अनुसार इस शिवलिंग को कैलास पर्वत का प्रतिनिधिकर्ता माना जाता है। इसके अलावा यही एक ऐसा मंदिर है, जहां पर शिवलिंग दिखाई नहीं देता। भक्‍तों को केवल यहां पर घी का टीला ही नजर आता है। हैरान करने वाली बात यह है कि यह घी कभी भी पिघलता नहीं है।

ऐसे पहुंचे वडुकनाथन मंदिर


त्रिशूर में गर्मी और बारिश दोनों ही काफी ज्‍यादा होती है। सर्दियों के समय को यहां सबसे मुफीद माना गया है। हालां‍कि दर्शन के लिए आप जिस मौसम में जाना चाहे जा सकते हैं, लेकिन शिवरात्रि के समय यहां पर काफी भीड़ इकट्ठा होती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप रेल, बस और हवाईजहाज किसी से भी यात्रा कर सकते हैं। यहां का निकटतम हवाईअड्डा कोच्चि एयरपोर्ट है। इसके अलावा आप त्रिशूर रेलवे स्‍टेशन या फिर बस का सहारा ले सकते हैं। त्रिशूर रेलवे स्‍टेशन से मंदिर की दूरी महज 2 किलोमीटर है।

काफी ज्‍यादा होती है। सर्दियों के समय को यहां सबसे मुफीद माना गया है। हालां‍कि दर्शन के लिए आप जिस मौसम में जाना चाहे जा सकते हैं, लेकिन शिवरात्रि के समय यहां पर काफी भीड़ इकट्ठा होती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप रेल, बस और हवाईजहाज किसी से भी यात्रा कर सकते हैं। यहां का निकटतम हवाईअड्डा कोच्चि एयरपोर्ट है। इसके अलावा आप त्रिशूर रेलवे स्‍टेशन या फिर बस का सहारा ले सकते हैं। त्रिशूर रेलवे स्‍टेशन से मंदिर की दूरी महज 2 किलोमीटर है।

यह भी है महत्‍ता


वडक्‍कुमनाथन मंदिर के साथ कई सारी महान कथाएं जुड़ी हैं। इस जगह को आदि शंकराचार्या के जन्‍मस्‍थली के रूप में भी जाना जाता है। इसके अलावा मंदिर को नैशनल मॉन्‍यूमेंट की उपाधि प्राप्‍त है। वडुकनाथन में शंकरनारायण की मूर्ति भी है, जिसमें शिव जी और श्री हरि विष्‍णु एक ही स्‍वरूप में नजर आते हैं।