कहीं घूमने का मूड बन रहा है और साथ में शांति भी चाहते हैं तो हम आपको बताते हैं कि कहां जाना सबसे सही रहेगा। अगर आप धार्मिक यात्रा की इच्छा है तो इस ट्रिप से आपकी ये इच्छा भी पूरी जाएगी। अगर आपको शांति चाहिए तो भारत के इन गुरुद्वारों में जरूर जाना चाहिए।
बंगला साहिब गुरुद्वारा, दिल्ली
दिल्ली का गुरुद्वारा बंगला साहिब सिखों का बहुत ही प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां हजारों लोग दर्शन करने आते हैं। दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारा की काफी मान्यता है। बताया जाता है कि यह गुरुद्वारा पहले जयपुर के महाराजा जय सिंह का बंगला था। मान्यता है कि यहां का पानी रोगनाशक है और इसे पवित्र माना जाता है। दुनियाभर से सिख यहां से पानी भरकर ले जाते हैं। यहां लंगर चलता रहता हतै और गुरुद्वारे में रहने वाले लोग और वॉलंटियर्स भक्तों के लंगर की व्यवस्था करते हैं।
गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब, अमृतसर
अमृतसर में गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सोने की पतली चादरों से ढका है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। स्वर्ण मंदिर में न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में रह रहे सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इस गुरुद्वारे की आधारशिला सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव जी ने 1588 में रखी थी।
गुरुद्वारा पत्थर साहिब, लेह
लेह से 25 किमी पहले गुरुद्वारा पत्थर साहिब की कहानी काफी रोचक है। यह गुरुद्वारा सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव की याद में बनाया गया है। यहां के बारे में कहा जाता है कि राक्षस द्वारा गुरु नानक देव के मारने के लिए फेंका गया पत्थर उनसे टकराकर मोम बना गया। यह पत्थर आज भी वहां मौजूद है। इस गुरुद्वारे में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ साहिब, ग्वालियर
मध्य प्रदेश में स्थित ग्वालियर के किले को मुगलों ने कब्जा कर इसे जेल बना दिया। अपनी बादशाहत को खतरा न हो इसलिए मुगल बादशाह जहांगीर ने इस किले में 52 अन्य राजाओं के साथ 6 वें सिख गुरू हरगोविंद साहब को कैदी बना लिया। उन्होंने जहांगीर द्वारा बंदी बनाए गए 52 सिख राजाओं की रिहाई कराई थी। गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा में हरगोबिंद साहिब का स्मारक बना है।
गुरुद्वारा मणिकरण साहिब, मनाली
हिमाचल प्रदेश के मनाली में बने मणिकरण साहिब गुरुद्वारा में काफी संख्या में लोग आते हैं। यह गुरुद्वारा पहले सिख गुरु गुरु नानक देव की याद में बना है, जो अपने गुरु भाई मर्दाना के साथ यहां आए थे। पूरे वर्ष यहां दोनों समय लंगर चलता रहता है। मणिकरण साहब में पंजाब से काफी श्रद्धालु आते हैं।