सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी का जन्मदिन दुनियाभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में यह एक बेहतरीन मौका है गुरुद्वारों की सैर करने का। हम आपको बता रहे हैं देश के प्रसिद्ध गुरुद्वारों के बारे में।
सिखों के पहले गुरु और सिख संप्रदाय के प्रवर्तक गुरु नानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। सिख धर्म के अनुयायी इस दिन को प्रकाश उत्सव या गुरु पर्व के रूप में धूमधाम से मनाते हैं। इस साल 23 नवंबर, शुक्रवार को गुरु नानक जी का जन्मदिन है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं देशभर के उन प्रसिद्ध गुरुद्वारों के बारे में जहां पहुंचकर आपको जो आध्यात्मिक सुकून महसूस होगा वह निश्चित तौर पर आपको हमेशा याद रहेगा।
स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर या गोल्डेन टेंपल को हरमिंदर साहिब या दरबार साहिब भी कहते हैं। इसे सिख धर्मावलंबियों के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र धर्मस्थलों में से एक माना जाता है। सिखों के चौथे गुरु, गुरु राम दास ने इस गुरुद्वारा की स्थापना की थी। इस गुरुद्वारे की खासियत ही यही है कि यहां किसी भी धर्म या संप्रदाय के लोग ईश्वर को याद करने और प्रार्थना करने के लिए आ सकते हैं। इसके सुनहरे रंग के आर्किटेक्चर की वजह से ही इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा। गोल्डन टेंपल की एक और खासियत है यहां चलने वाला लंगर जिसमें हर दिन लाखों लोग आकर भोजन करते हैं।
गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली
ऐसा कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में यह गुरुद्वारा राजा जय सिंह का बंगला था जिसे जयसिंगपुरा पैलेस कहा जाता था। इस गुरुद्वारे का निर्माण सिखों के आठवें गुरु, गुरु हर किशन ने करवाया था। गुरुद्वारा कॉम्प्लेकस के अंदर मौजूद पानी का सरोवर अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु इस पानी में डुबकी लगाते हैं या फिर उससे अपना मुंह-हाथ धोते हैं। यह दिल्ली के सबसे फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है।
हेमकुंड साहिब, चमोली
हिमालय की गोद में 15 हजार 197 फीट की ऊंचाई पर स्थित है प्रसिद्ध गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब। यह दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुद्वारों में से एक है और सिख धर्म के लोगों के बीच बेहद अहम माना जाता है। गुरुद्वारे के बाहर एक छोटा सा तालाब है जहां श्रद्धालु डुबकी लगा सकते हैं।
गुरुद्वारा मणिकरण साहिब, कुल्लू
ऐसी मान्यता है कि गुरु नानक देव जी खुद इस गुरुद्वारे में अपने शिष्य भाई मरदाना के साथ आ चुके हैं। यहां गुरु नानक देव जी ने ही रोटी पकाने के लिए गर्म पानी का जल-स्त्रोत बनाया था और तभी से मणिकरण अपने गर्म पानी के जल-स्त्रोत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया। साथ ही यह हिंदूओं और सिखों दोनों धर्म के लोगों के बीच काफी फेमस है। हिमालय के फेमस हिल स्टेशन कसोल से यह सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है और पार्वती नदी के बाईं ओर स्थित है।