भगवान राम की जन्मस्थली Ayodhya (अयोध्या देश) के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। अब फैजाबाद का नाम बदलकर भी अयोध्या कर दिया गया है। यानी इस पूरे अवध क्षेत्र को अब अयोध्या कहा जाएगा। इसके धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का फैसला किया है। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर को बनाने के लिए लंबे समय ये जद्दोजहद चल रही है, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है। खैर ये तो बात रही मंदिर की, हम आपको अयोध्या के ऐसे खास स्थानों के बारे में बता रहे हैं, जहां आपको एक बार अवश्य घूमने जाना चाहिए…
हनुमान गढ़ी
भगवान राम का जन्मस्थान होने के नाते पूरे अयोध्या शहर में कई भव्य धार्मिक स्थान हैं। हनुमान गढ़ी उन सबमें सबसे अहम है। हनुमान को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 10वीं सदी में हुआ था। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए आपको 76 सीढ़ियां पार करनी पड़ेंगी। देश भर से श्रद्धालु यहां आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान के भ्रमण से हनुमान के सच्चे भक्तों की मुरादें पूरी हो जाती हैं।
नागेश्वरनाथ मंदिर
इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के बेटे कुश ने करवाया था। यह भगवान शिव को समर्पित मंदिर है जहां शिवरात्रि या अन्य कोई शिव पूजा के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
गुलाबबाड़ी
शुजाउद्दौला के मकबरे के चारों तरफ फैले इस गुलाब के बगीचे में तरह-तरह के गुलाब के फूल देखने को मिलेंगे। इस स्थान को गुलाबबाड़ी के बगीचे के अलावा यहां मौजूद इमामबाड़ा और मस्जिद के लिए भी जाना जाता है।
कनक भवन
कनक भवन को सोने का घर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान राम और सीता की सोने के मुकुट वाली मूर्तियां हैं। यह काफी भव्य और सुंदर महल है। माना जाता है कि विवाह के उपरांत माता कौशल्या भगवान राम की पत्नी सीता को यह मुंहदिखाई में दिया था।
दशरथ भवन
शहर के मध्य में स्थित दशरथ भवन वह जगह है जहां भगवान राम के पिता और अयोध्या के राजा दशरथ का निवास था। यह एक भव्य महल है जिसको अच्छी तरह से सजाया गया है।
मणि पर्वत
मणि पर्वत का खास धार्मिक और पौराणिक महत्व है। मान्यता है कि युद्ध में बुरी तरह से जख्मी हुए भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण के उपचार के लिए संजीवनी बूटी की जरूरत थी। संजीवनी बूटी की तलाश में हनुमान ने पूरे पहाड़ को ही उठा लिया था। माना जाता है कि उस विशाल पर्वत का एक भाग अयोध्या में गिर गया जिसे मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है। मणि पर्वत से पूरे शहर के मनोरम दृश्य के अलावा यहां सम्राट अशोक द्वारा निर्मित स्तूप एवं बौद्ध मठ को भी देख सकते हैं।
सीता की रसोई
वास्तव में सीता की रसोई कोई रसोई घर नहीं है बल्कि यह एक मंदिर है। माना जाता है कि सीता की रसोई यहीं पर थी। मंदिर के एक कोने में पुराने रसोई घर का एक मॉडल है जहां प्राचीन, बर्तन आदि का नमूना है। मंदिर परिसर के दूसरे किनारे में चारों भाई राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न एवं उनकी पत्नियों की मूर्तियां हैं।