अरुणाचल का मतलब ही ‘उगते सूर्य का पर्वत’ है। इसके ज्यादातर भाग हिमालय से ढके हुए हैं। पूर्व में फैली हिमालय की पर्वतमालाएं इसे चीन से अलग करती हैं। चीन के अलावा भूटान और बर्मा की सीमाओं से लगा हुआ है यह राज्य। इसकी खूबसूरती को बढ़ाने का काम करते हैं ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और हरे-भरे जंगल। 500 से भी ज्यादा प्रकार के ऑर्किड अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में देखने को मिलते हैं। यहां तक कि कलिका पुराण और महाभारत में भी अरुणाचल प्रदेश का जिक्र देखने को मिलता है।
इसी धरती पर संत परशुराम और ऋषि व्यास ने ध्यान लगाया था और भगवान श्रीकृष्ण ने रुकमणि से शादी की थी। आध्यात्मिकता के साथ-साथ ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह जगह बहुत ही खास है।
यहां होता है सबसे पहले सूर्योदय
अरुणाचल प्रदेश, ऐसा राज्य जहां सूरज की किरणें सबसे पहले दस्तक देती हैं और सिर्फ दिन ही नहीं यहां रात भी भारत के दूसरे राज्यों से काफी पहले हो जाती है। दोपहर 3 बजे यहां रात हो जाती है और 4 बजे सूर्योदय। नए साल की बेहतर शुरुआत के लिए देशभर के सैलानी यहां का उगते सूरज को देखने जुटते हैं।
20 फरवरी 1987 को बना अरुणाचल भारत का 24वां राज्य
सन् 1962 से पहले अरुणाचल को नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) के नाम से जाना जाता था। सन् 1972 में यह केंद्र शासित राज्य बना और इसे अरुणाचल प्रदेश नाम मिला। और 20 फरवरी 1987 को भारतीय संविधान में 24वें राज्य के रूप में इसका नाम दर्ज हुआ।
किन वजहों से खास यह प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में फैली प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा यहां मौजूद तमाम तरह के एडवेंचर स्पोट्स भी इसे बनाते हैं खास और इसी वजह यहां सालभर देश-विदेश से आने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है। साफ-सुथरी लोहित, सियांग और सुबनसिरी नदियों में रॉफ्टिंग और कयॉकिंग का एक्सपीरियंस जरूर लें। पहाड़ों पर ट्रैकिंग के साथ ही भालुकपोंग से तवांग और बोमडिला तक आप मोटर बाइकिंग एडवेंचर को कर सकते हैं एन्जॉय।
अरुणाचल प्रदेश में घूमने लायक जगहें
- जीरो वैली
अरुणाचल प्रदेश का ‘धान का कटोरा’ कहलाता है यह इलाका। शिमला या ऊटी जैसी रौनक तो यहां नहीं, पर इस तरह के शहरों वाली भीड़-भाड़ से दूर-दूर तक फैले धान के विशाल खेत, चीड़-देवदार के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की श्रृंखलाएं, बर्फ की सफेद चादर से ढकी पहाड़ों की चमचमाती चोटियां, घने जंगल में पत्तों की सरगोशियां, तंग जगहों से पानी का घुमावदार बहाव, बौद्ध भिक्षुओं के भजन की पावन ध्वनि और स्थानीय सहज-सरल लोगों का सत्कार मिलता है यहां। - तवांग
तवांग, अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम छोर पर है। उत्तर-पूर्व में तिब्बत बॉर्डर से लगे होने की वजह से यहां का मौसम ज्यादातर सर्द रहता है। तवांग हिल स्टेशन पर मोनपा जनजाति के लोग रहते हैं जिनके पहनने से लेकर रहने और खाने-पीने हर एक चीज़ बहुत ही अलग है। बुमला पास एक ऐसी जगह है जहां से आप पूरे तवांग की खूबसूरती को निहार सकते हैं। इसके साथ सेला पास, गोरिचेन पीक, माधुरी लेक, नूरानंग फॉल्स, तवांग मोनेस्ट्री और जांग वॉटरफॉल्स देखने वाली खूबसूरत जगहें हैं। - बोमडिला
अरुणाचल प्रदेश का छोटा लेकिन बहुत ही खूबसूरत शहर है बोमडिला। समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से यहां से शहर का अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए यह जगह जन्नत है वैसे बोमडिला खासतौर से बौद्ध मठों के लिए जाना जाता है। - ईटानगर
समुद्रतल से 350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश की राजधानी है। यहां का पापुम पेर, हिमालय की तराई में स्थित है इसी वजह से सैलानी यहां ऊंची-ऊंची चोटियों को देखने के साथ नदियों और जंगलों को भी देख सकते हैं। - अलोंग
छोटे-छोटे गांवों से मिलकर बना अलोंग, असम और अरुणाचल के बॉर्डर के पास सियांग नदी की दो खास नदियों योमगो और सीपू के किनारे बसा है। आसमान छूते पहाड़ और गहरी खाईयां इस जगह को खूबसूरत और एडवेंचरस बनाती हैं। मेचुका घाटी, डोनियो मंदिर, पुवक घाट, मालिनीथान, कमकी हाइड्रोपॉवर डैम, पातुम ब्रिज यहां की देखने लायक जगहें हैं।
कैसे जाएं
- हवाई मार्ग
दिल्ली, मुंबई और पुणे से फ्लाइट लेकर आप आसानी से कोलकाता या गुवाहाटी तक पहुंच सकते हैं। जहां टैक्सी और बसों की सुविधा मिलती है। - रेल मार्ग
असाम का हरमुटी रेलवे स्टेशन यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। स्टेशन के बाहर आपको शहर तक जाने के लिए टैक्सी और बसें आराम से मिल जाएंगी। - सड़क मार्ग
मेघालय, असाम और नागालैंड हर जगह से आप यहां तक आसानी से सड़क मार्ग द्वारा पहुंच सकते हैं।