उड़ीसा की तीर्थ नगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस साल 4 जुलाई से शुरू होने जा रही है। यह रथ यात्रा धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें भाग लेने और भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। इस रथ यात्रा का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है। इसके लिए तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं। ये रथ हर साल नए बनाए जाते हैं और उन्हें बनाने की प्रक्रिया बसंत पंचमी से शुरू हो जाती है। अगर आप भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में भागीदार बनना चाहते हैं तो यहां जानें, इस धार्मिक यात्रा से जुड़े रिवाज और पुरी जाने के रूट संबंधी जानकारी…
पहला दिन 4 जुलाई
जगन्नाथ रथ यात्रा 2019 जुलाई की 4 तारीख से शुरू हो रही है। इस दिन भगवान जगन्नाथ को रथ पर सवार किया जाएगा और भव्य यात्रा के साथ जगन्नाथ भगवान अपनी मौसी के घर के लिए रवाना होंगे। भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर गुंडिचा देवी का मंदिर है, जहां श्री जगन्नाथ भगवान हर साल एक सप्ताह रहने के लिए जाते हैं। इस दिन यात्रा की तैयारी सुबह से ही शुरू हो जाएगी और दिनभर कई रीति-रिवाज करने के बाद रथ खींचने का पावन कार्य शाम 4 बजे से शुरू होगा।
हेरा पंचमी 8 जुलाई
हेरा पंचमी का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। मां लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ की पत्नी हैं। जब भगवान जगन्नाथ अपने निवास स्थान नहीं लौटते तो माता लक्ष्मी परेशान हो जाती हैं और गुंडिचा मंदिर जाकर भगवान जगन्नाथ से मिलती हैं। इस दौरान मंदिर से वह पालकी में विराजमान निकलती हैं।
बहुदा यात्रा 12 जुलाई
इस दिन भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर से लौटकर वापस अपने निवास स्थान आते हैं। इस दिन भी यह यात्रा शाम 4 बजे ही शुरू होगी।
सुना बेशा 13 जुलाई
इस दिन भगवान के विग्रह का नया श्रृंगार किया जाता है और दिन भर भजन-कीर्तन के साथ पूजा-पाठ होता है। इस पर्व की शुरुआत राजा कपिलेंद्र देब के शासन काल के दौरान 1430 ईस्वी में की गई थी। इसके मुख्य रिवाज की संभावित टाइमिंग शाम 5 बजे से रात 11 बजे बताई जा रही है।
नीलाद्रि बिजया 15 जुलाई
इस दिन भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन और पत्नी के विग्रह को वापस मंदिर के अंदर विराजमान किया जाएगा। इससे पहले जो भी रस्म और रिवाज निभाए जाएंगे वे सभी जगन्नाथ मंदिर के गर्भ ग्रह से बाहर ही निभाए संपन्न होंगे।
और भी बहुत कुछ
ये सभी 5 मुख्य कार्यक्रम हैं, जो रथ यात्रा के दौरान पुरी में आयोजित किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त भी पुरी में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। आप आराम से 12 से 15 दिन का कार्यक्रम बनाकर पुरी और आस-पास के दर्शनीय स्थलों की सैर कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि जिस समय भगवान जगन्नाथ मौसी के घर में रहते हैं, उस दौरान सभी कार्यक्रम गुंडिचा मंदिर में आयोजित होते हैं। जगन्नाथ मंदिर में इस दौरान कोई कार्यक्रम नहीं होता। प्रतिदिन होनेवाली ध्वजा परिवर्तन की रस्म और प्रसाद वितरण भी इस दौरान नहीं होता है।
हवाई मार्ग से पुरी की यात्रा
उड़ीसा राज्य की विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नगरी पुरी में हवाई अड्डा नहीं है। पुरी का निकटतम एयरपोर्ट भुवनेश्वर हवाई अड्डा है। देश के सभी बड़े शहरों से भुवनेश्वर के लिए आसानी से फ्लाइट ली जा सकती है। यहां से आप किसी भी प्राइवेट टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट के माध्यम से पुरी पहुंच सकते हैं। पुरी और भुवनेश्वर की दूरी करीब 65 किलोमीटर है।
सड़क मार्ग से पुरी का सफर
अगर आप तीर्थ नगरी पुरी का सफर सड़क मार्ग से तय करना चाहते हैं तो देश के लगभग सभी महानगरों से पुरी के लिए बस की सुविधा है। आप प्राइवेट टैक्सी से भी यात्रा कर सकते हैं। यह रूट सुरक्षित माना जाता है। लेकिन लंबी दूरी के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट ही उचित विकल्प है।
ट्रेन से यात्रा कर पहुंचे पुरी
देश के सभी बड़े रेलवे स्टेशन से भारतीय रेलवे उड़ीसा की तीर्थ नगरी पुरी को जोड़ता है। पुरी का अपना रेलवे स्टेशन है आप आईआरसीटीसी की सर्विस लेकर रेलमार्ग द्वारा पुरी पहुंच सकते हैं।