हिमाचल प्रदेश में सुंदर पहाड़ों के अलावा कई मनोरम झीलें हैं जहां आपको जरूर घूमना चाहिए। आइए ऐसी ही 7 बीचों के बारे में जानते हैं…
खजियार झील
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में खजियर झील समुद्र तल से 1,920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसके चारों तरफ घिरे देवदार के पेड़ों की झील के नीले पानी में बहुत ही सुंदर परछाइयां दिखती हैं। यहां की सबसे आकर्षक चीज तैरता हुआ टापू है जो असल में झील की सतह पर उगने वाले घासों का गुच्छा है जिसे देखना काफी अच्छा लगता है। इसके अलावा मनोरंजन गतिविधियों की बात करें तो पैराग्लाइडिंग से लेकर घुड़सवारी तक कई तरह की ऐक्टिविटीज का आनंद उठा सकते हैं।
पराशर झील
समुद्र तल से 2,730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पराशर झील मंडी से 49 किलोमीटर उत्तर में है। झील के अंदर एक गोल और तैरता हुआ टापू है जिसकी गहराई के बारे में पता नहीं है। गर्मी के समय में यह तैरकर झील के एक किनारे आ जाता है और ठंडी में खिसककर दूसरी तरफ।
चंद्र ताल
स्पीति घाटी में समुद्र तल से 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंद्र ताल तक आप मई से लेकर अक्टूबर के बीच बताल और कुंजुम दर्रों से पैदल चलकर भी जा सकते हैं। इस झील से जुड़े कई मिथक हैं। लोगों का कहना है कि हर रात यहां परियां आती हैं।
रेणुका झील
सिरमौर जिले में हिमाचल प्रदेश की यह सबसे बड़ी झील समुद्र तल से 672 मीटर की ऊंचाई पर है। रेणुका देवी के नाम पर इसका नाम रेणुका बीच पड़ा है। इसके आसपास के सुंदर दृश्यों को देखने के लिए आप बोट की सवारी कर सकते हैं। झील के किनारे हर साल छह दिनों चलने वाला श्री रेणुकाजी मेला नवंबर के तीसरे हफ्ते में लगता है। झील के बायें किनारे में हरा-भरा वन रेणुकाजी चिड़िया घर है जो रेणुकाजी वन्यजीव अभ्यारणय का हिस्सा है।
सूरज ताल
भारत की तीसरी सबसे ऊंची और दुनिया की 21वीं सबसे ऊंची यह झील लाहुल घाटी में समुद्र तल से 4,890 मीटर की ऊंचाई पर है। नवंबर से अप्रैल तक ठंड के मौसम में सूरज ताल आप नहीं जा सकते हैं।
नाको झील
समुद्र तल से 3,662 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाको झील के आसपास स्थित बौद्ध मंदिर पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। बादल से भरीं चोटियां, पथरीली चट्टानें और सेब के बागीचे झील की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
भृगु झील
बशिष्ट में समुद्र तल से 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भृगु झील में आप मई से अक्टूबर तक ट्रेकिंग कर सकते हैं। बाकी छह महीने यह झील जमी रहती है।