जब भी बात किसी हिल स्टेशन घूमने जाने की होती है तो हमें हिमाचल और उत्तराखंड के ऊंचे और हरे-भरे पहाड़, नदियां, झीले, झरने और बाकी खूबसूरत चीजें याद आ जाती हैं। लेकिन कई बार छुट्टियां न होने की वजह से हिल स्टेशन्स के लिए लंबा आराम प्लान नहीं हो पाता। खैर कोई बात नहीं। कम से कम वीकेंड पर तो आप हिल स्टेशन जा ही सकते हैं। उत्तराखंड की वादियों में बसा लैंसडाउन एक ऐसा ही हिल स्टेशन है, जहां जाने के लिए आपको लंबी छुट्टियों की ज़रूरत नहीं है। लैंसडाउन खूबसूरत और शांत होने के साथ सुरक्षित भी है, क्योंकि यहां सैनिक छावनी है।
लैंसडाउन जाने के लिए बेस्ट टाइम
वैसे तो लैंसडाउन में मौसम सालभर ही सुहावना रहता है। यहां गर्मी भी ज़्यादा नहीं पड़ती। मार्च से जून के बीच यहां काफी खुशनुमा मौसम रहता है, वहीं दिसंबर से फरवरी के बीच कड़ाके की ठंड पड़ती है। कई बार तापमान शून्य तक चला जाता है। हालांकि सर्दियों के दौरान बर्फबारी देखने लायक होती है।
फरवरी-मार्च के दौरान यहां शिवरात्रि का सेलिब्रेशन होता है, जिसका दृश्य काफी मनोरम होता है। लैंसडाउन जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम है मार्च से नवंबर के बीच। उस वक्त न तो गर्मी होती है और न ही ज़्यादा ठंड।
लैंसडाउन में इन जगहों पर जरूर जाएं
वीकएंड पर अगर आप लैंसडाउन जा रहे हैं, तो जाहिर है आपके पास वक्त की कमी होगी, लेकिन यह वक्त छोटे से लैंसडाउन को घूमने के लिए काफी है। इतने वक्त को आप चाहें, तो किसी होटल के गार्डन में सुस्ता कर बिता लें या लैंसडाउन के चक्कर काटकर, क्योंकि इस छोटे से हिल स्टेन में देखने लायक सभी जगह काफी नजदीक हैं।
- भुल्ला ताल: होटल में अपना सामान रखकर आप भुल्ला ताल का रुख कर सकते हैं, जो एक छोटी सी झील है। मन करे, तो इसमें बोटिंग कर लें या इसके किनारे पार्क में बैठकर हंसते-खेलते पर्यटकों की खुशी में शामिल हो जाएं।
- टिप एन टॉप: मन करे, तो टिप एन टॉप चले जाएं, जहां से दूर-दूर तक पर्वतों और उनके बीच छोटे-छोटे कई गांव नजर आते हैं। इनके पीछे से उगते सूरज का नजारा अलौकिक लगता है। अगर मौसम साफ हुआ, तो बर्फ से ढके पहाड़ों की लंबी श्रृंखला नजर आ सकती है। वैसे अक्टूबर-नवंबर और मार्च-अप्रैल में मौसम साफ रहने की संभावना ज्यादा रहती है।
- चर्च और वॉर मेमोरियल: कुछ वक्त टिफिन टॉप में बिताने के बाद चर्च देख सकते हैं। गढ़वाल राइफल्स की वीरगाथा की झलक पाने के लिए शाम 5 बजे से पहले वॉर मेमोरियल देख सकते हैं। इसके बिल्कुल पास में है, परेड ग्राउंड, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं।
- मंदिर: शाम को सनसेट का खूबसूरत नजारा देखने के लिए संतोषी माता के मंदिर जाएं, जो शायद लैंसडाउन की सबसे ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। लैंसडाउन में घूमने का दोगुना लुत्फ चाहें, तो पैदल घूमें।
- भैरवगढ़ी और ताड़केश्वर मंदिर: अगली सुबह लैंसडाउन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर भैरवगढ़ी या ताड़केश्वर मंदिर तक ट्रेकिंग कर सकते हैं। दोनों जगहों तक गाड़ी से भी जा सकते हैं, लेकिन चीड़, देवदार, बुरांश और बांज के घने जंगलों से ट्रेकिंग करते हुए यहां तक पहुंचने का अलग ही रोमांच है।
- रोमांच भी, सुकून भी: कई पर्यटक लैंसडाउन में हफ्ते भर रहना पसंद करते हैं, क्योंकि यह शांत और खूबसूरत होने के साथ ही विकसित भी है। भारत में इस तरह के हिल स्टेशन बहुत कम हैं। कुछ पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग, बाइकिंग, साइकलिंग जैसे एडवेंचर करने की सुरक्षित जगह है लैंसडाउन, तो कुछ पर्यटक फैमिली के साथ वीकएंड मनाने के लिए यहां आते हैं। बस यही है लैंसडाउन।