Ladakh का Losar Festival यहां मनाए जाने वाले खास फेस्टिवल्स में से एक है। जिसे दिसंबर महीने में सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल इसकी शुरूआत 8 December से हो रही है। लद्दाख के अलावा तिब्बत, नेपाल और भूटान में भी इसे धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। इस त्योहार द्वारा बौद्ध एक तरह से नए साल का जश्न मनाते हैं। जिसमें स्थानीय लोगों के अलावा देश-विदेश से टूरिस्ट्स हिस्सा लेने आते हैं। फेस्टिवल में लद्दाखी बौद्धजन घरेलू धार्मिक स्थलों पर या गोम्पा में अपने देवताओं को धार्मिक चढ़ावा चढ़ाकर खुश करते हैं। इसके अलावा इस महोत्सव में अलग-अलग तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक प्रदर्शनी और पुराने रीति-रिवाजों का भी प्रदर्शन किया जाता है।
कैसे मनाया जाता है Losar Festival
दस दिनों तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल की शुरूआत मंदिरों और घरों में रोशनी के साथ होती है। चारों ओर रोशनी से पूरा लद्दाख जगमगा उठता है। पुरानी परंपरा के अनुसार लोग अपने परिवार के सदस्यों की कब्र पर जाते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। फेस्टिवल के तीसरे दिन चांद देखने का इतंजार करते हैं। फेस्टिवल में एक और चीज़ जो देखने वाली है वो है नृत्य और संगीत, जो संगीत प्रेमियों ही नहीं आम लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत में लोसर फेस्टिवल देश के अलग-अलग जगहों पर रहने वाले योल्मो, शेरपा, तमांग, गुरुंग, और भूटिया समुदायों द्वारा मनाया जाता है।
कैसे पहुंचे
- हवाई मार्ग- कुशोक बाकुला रिंपोची, लद्दाख पहुंचने का नज़दीकी एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट के बाहर कैब अवेलेबल होती है जहां से आप लद्दाख शहर आसानी से पहुंच सकते हैं। सभी बड़े शहरों मुंबई, दिल्ली, श्रीनगर और जम्मू से लद्दाख के लिए फ्लाइट्स हैं।
- रेल मार्ग- जम्मूतवी रेलवे स्टेशन नज़दीकी है जहां से लद्दाख शहर की दूरी 708 किमी है। स्टेशन के बाहर टैक्सी और बस की सुविधा अवेलेबल है।
- सड़क मार्ग- लद्दाख का सफर दो हाइवे से तय किया जा सकता है। पहला मनाली-लेह-हाइवे और दूसरा श्रीनगर-लेह हाइवे। ये हाइवे जून से अक्टूबर या जुलाई से नवंबर तक खुले रहते हैं। सर्दियों में इन्हें बर्फबारी के चलते बंद कर दिया जाता है।