चेन्नै के ये प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल न केवल आपको चेन्नै के इतिहास की जानकारी देते हैं बल्कि चेन्नै को एक अलग नजरिए से देखने का मौका भी देत हैं, ये ऐतिहासिक स्थल चेन्नै की सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाती हैं। चेन्नै आने वाले यात्री चेन्नै के इन ऐतिहासिक जगहों को अपने यात्रा कार्यक्रम में ज़रूर शामिल करें।
अडयार
जो लोग आरामदायक और शांत वातावरण को पसंद करते हैं उनके लिए अडयार में थियोसोफिकल सोसायटी मुख्यालय खूबसूरत स्थान है। इसकी स्थापना मैडम ब्लावात्सकी और कर्नल हेनरी एस ओलकौट द्वारा सन 1875 में सर्वभौमिक भाईचारे को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। जिनकी अनुयायी राष्ट्रवादी नेता एनी बेसेंट थीं। अड्यार नदी के दक्षिण में 108 एकड़ परिसर में फैले उद्यान और पेड़ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां की खास बात है कि यहां ईसाई, बौद्ध, इस्लाम और हिंदूओं के पवित्र स्थान के साथ धर्म और दर्शन पर पुस्तकों की एक बड़ी लाइब्रेरी भी है। 400 वर्ष पुराना बरगद का पेड़ इस स्थान की शोभा में चार-चांद लगा देता है।
राजकीय संग्रहालय
ब्रिटिश काल की इमारतों के परिसर में स्थित चेन्नै राजकीय संग्रहालय छठी शताब्दी की कलाकृतियों का खजाना है। यह संग्रहालय सत्तारूढ़ राजवंशों पर केन्द्रित है जैसे होयसला, चालुक्य, चोल और विजयनगर साम्राज्य। यहां कुछ गैलरी कांसे की कलाकृतियों के साथ प्राकृतिक इतिहास और जीव विज्ञान को भी समर्पित है। इस संग्रहालय का मुख्य आकर्षण 10-18वीं सदी के बीच मुगल, राजस्थानी और दक्कनी कलाकृतियों का संग्रह है।
कपालीश्वर मंदिर
कभी पल्लवों का बंदरगाह रहा और माइलापुर के नजदीक स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर परिसर में द्रविड मंदिर वास्तुकला के सभी रुप मौजूद हैं। जिसमें शिव के भक्त न्यानमार की कांसे से बनी मूर्ति, रंगीन केंद्रीय गोपुरम (प्रवेश द्वार) जिसपर देवी-देवताओं को नक्काशी के जरिए उभारा गया है और मंदिर का टैंक शामिल है, मंदिर के आस-पास का क्षेत्र फूलों और दुकानों से घिरा हुआ है।
सेन थोम चर्च
सफेद रंग में बना नियो गोथिक चर्च अपनी 183 फुट ऊंची मीनारों से प्रत्येक यात्री को प्रभावित करता है। क्रिश्चियन धर्म में इसे सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है, इसमें संत थॉमस के अवशेष रखे हैं जो जीजस के 12 धर्मप्रचारकों में से एक थे और 52 ईसा पूर्व यहां आए थे। चर्च का निर्माण पुर्तगालियों ने 16वीं सदी में करवाया था और इसका मौजूदा रुप में निर्माण सन 1898 में किया गया था। माना जाता है कि थॉमस पर्वत पर संत थॉमस रहा करते थे। आप पहाड़ी पर चढ़कर चर्च ऑफ अवर लेडी ऑफ एक्सपेक्टेशंस तक जा सकते हैं। इसका निर्माण पुर्तगालियों ने किया था जो ईसा मसीह की माता मेरी को समर्पित है। इसके अलावा दूसरी ऐतिहासिक संरचनाओ में पास ही में लुज चर्च और सेंट जॉर्ज चर्च भी स्थित है।
फोर्ट सेंट जॉर्ज
सेंट जॉर्ज फोर्ट चेन्नै के महत्वपूर्ण आकर्षक ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इसे सन 1640 में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा निर्मित किया गया था। अब यह क्षेत्र तमिलनाडु सरकार का मुख्यालय है और इसके आस-पास का इलाका जॉर्ज टाउन के रूप में जाना जाता है। यहां कई थोक बाजार हैं जिसमें बर्मा बाजार सबसे प्रसिद्ध है। इसके अलावा 17 वीं सदी के सेंट मैरी चर्च के ऊंचे मीनारों देखने जा सकते हैं जो भारत में सबसे पुराना अंग्रेजी चर्च माना जाता है। इसके बाद फोर्ट संग्रहालय का रुख करें, जो एक 18वीं सदी की एक इमारत में बना है जिसे एक्सचेंज हाउस कहा जाता है। यह ब्रिटिश काल के दौरान औपनिवेशिक मद्रास की विभिन्न स्मरणीय, प्रिंट और पेटिंग को दर्शाता है। किले के बगल में स्थित, उच्च न्यायालय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी न्यायिक इमारत है। यह सन 1892 में भारत-अरबी शैली में बनाया गया भारत का सबसे पहला सुप्रीम कोर्ट था।