दक्षिण भारत का प्रमुख महानगर चेन्नई प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। चाहे आप एक धार्मिक व्यक्ति हों या एक यात्री, आप हमेशा चेन्नई में मंदिरों की यात्रा के विकल्प का चुनाव कर सकते हैं। ये सभी मंदिर उत्कृष्ट शिल्प कौशल को दर्शाते हैं और पूरे वर्ष इन मंदिरों में पर्यटकों और श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहता है। कपालीश्वर मंदिर के पारंपरिक द्रविड़ वास्तुकला का आनंद ले सकते हैं, प्राचीन पार्थसारथीस्वामी मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा कर सकते हैं, चेन्नई में धार्मिक स्थलों की कोई कमी नहीं है। चेन्नई के प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा करने के लिए आप हमारे गाइड को फॉलो कर सकते हैं।
पार्थसारथीस्वामी मंदिर
त्रिप्लिकेन में स्थित पार्थसारथीस्वामी मंदिर चेन्नई में सबसे प्रचीन मंदिरों में से एक है, जिसे 8-वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, इस मंदिर की विशेषता असंख्य तमिल और तेलुगू शिलालेख हैं जो अनायस ही आपको 8-वीं शताब्दी में ले जाएंगे। यह अवधि पल्लव राजा दंतिवर्मन की अवधि मानी जाती है जो भगवान विष्णु के भक्त थे। पार्थसारथी शब्द का मतलब संस्कृत में अर्जुन का सारथी है, जो वास्तव में भगवान श्री कृष्ण को संदर्भित करता है और जो हिंदू महाकाव्य महाभारत में वर्णित अर्जुन का सारथी था।
यह मंदिर मूल रूप से पल्लव वंश के राजा नरसिंम्हावर्मन प्रथम द्वारा बनवाया गया था और बाद में चोल और विजयनगर के शासकों द्वारा इसका विस्तार किया गया। इस मंदिर के अंदर पर्यटक भगवान विष्णु के पांच अवतारों के दर्शन कर सकते हैं जिनमें राम, कृष्ण, नरसिम्हां, रंगनाथ और वर्धराजा शामिल है। इस मंदिर के वास्तुकला के बारे में जान सकते हैं, यहां गोपुरम या टावर या मंडप या स्तंभ अच्छी तरह से सजाए गए हैं। जो लगभग प्रत्येक दक्षिण भारतीय मंदिर की एक सामान्य विशेषता है।
कपालीश्वर मंदिर
7-वीं शताब्दी में बना कपालीश्वर मंदिर चेन्नई के मयलापुर में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित, ये शहर के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली धार्मिक स्थलों में से एक है जहां प्रत्येक साल भारी संख्या में पर्यटकों और श्रद्धालु आते हैं। माना जाता है कि पुर्तगालियों द्वारा तोड़े जाने के बाद वर्तमान संरचना का निर्माण 16-वीं शताब्दी में विजयनगर शासकों द्वारा किया गया था। मंदिर वास्तुशिल्प की द्रविड़ शैली को दर्शाता है जिसमें कई मंदिर और हॉल को भी देख सकते हैं।
वडापलानी अंदावर मंदिर
भगवान मुरुगा को समर्पित वडापलानी अंदावर मंदिर चेन्नई का एक प्रमुख मंदिर है। सन् 1890 के अासपास वडापलानी में निर्मित, मंदिर शुरुआत में एक शेड के रुप में था जिसे सन 1920 में पुननिर्मित किया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार मुरुगा के भक्त अन्नास्वामी नयाकर ने भगवान की पूजा करने के लिए शेड का निर्माण करवाया था। कहा जाता है उस दौरान उन्हें दिव्य शक्तियों का अनुभव हुआ। इन दिव्य शक्तियों के सहारे वो जो भविष्यवाणी करते थे, जो बाद में सच साबित होती थीं। प्रत्येक वर्ष यहां 7000 से अधिक विवाह संपन्न कराए जाते हैं।
अष्टलक्ष्मी मंदिर
चेन्नई में इलियट बीच के नज़दीक स्थित, अष्टलक्ष्मी मंदिर देवी लक्ष्मी और उनके आठ अवतारों को समर्पित है। अष्टलक्ष्मी मंदिर को धन, सफलता, ज्ञान, समृद्धि, साहस और अन्न दाता के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर कांची मठ के श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल की इच्छा पर बनाया गया था, और सन् 1976 में मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था। मंदिर की वास्तुकला उथिरामेरुर में सुंधराराज पेरुमल मंदिर से ली गई है। मंदिर में पर्यटक देवी लक्ष्मी के आठ अवतारों को देख सकते हैं जो चार स्तरों में अलग-अलग पवित्र स्थानों पर स्थापित की गई हैं। देवी लक्ष्मी के अलावा यहां गुरुवयूराप्पन के साथ देशावतार (भगवान विष्णु के 10 अवतार), गणेश और अन्य कई मूर्तियां हैं। मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह मंदिर “ओम” के आकार में बनाया गया है जो कि पहला वैदिक मंत्र है।