अगर आपको ट्रैकिंग का शौक है। इतिहास में रुचि है और जंगल से प्यार है। तो इन चीजों को एक साथ देखने और जीने की आपकी चाह गुजरात में पूरी हो सकती है। गुजरात का गिरनार दिल खोलकर आपका स्वागत करेगा। साथ ही गिर के जंगलों के शहंशाह एशियाई शेर के दर्शन भी आप यहां कर सकते हैं…
गुजरात में जूनागढ़ के निकट स्थित है पवित्र गिरनार पर्वत। यह क्षेत्र एशियाई शेरों के लिए विख्यात ‘गिर वन राष्ट्रीय उद्यान’ का ही भाग है। इसी पर्वत के जंगल क्षेत्र में स्थित है, वह प्राकृतिक स्थान जहां जंगल के राजा शेर के दीदार के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। गिरनार का प्राचीन नाम ‘गिरिनगर’ था। जियॉलजिस्ट इस पर्वत को हिमालय से भी पुराना मानते हैं।
बात अगर तीर्थ की हो तो गिरनार मुख्य रूप से जैन मतावलंबियों का पवित्र तीर्थ स्थान है। यहां मल्लिनाथ और नेमिनाथ के मंदिर बने हुए हैं। हिंदू और जैन धर्म के लोगों के लिए इस पर्वत के प्रति आस्था के अलग-अलग कारण हैं। लेकिन अगर आप सिर्फ एक सैलानी के तौर पर यहां जाना चाहते हैं, तब भी आपको निराशा नहीं होगी। गिर के जंगल दुनियाभर में अपनी साख रखते हैं और अशोक का स्तंभ हर इतिहासकार को आकर्षित करता है।
ऐतिहासिक महत्व
गुजरात के गिरनार का ऐतिहासिक महत्व हमें सम्राट अशोक के काल में पहुंचा देता है। यहां अशोक स्तंभ, महाक्षत्रप, रुद्रदामा और गुप्त वंश के सम्राट स्कंदगुप्त का शिलालेख स्थित हैं। ये शिला लेख बहुत विशाल हैं और अपनी दिव्यता से उस काल की भव्यता का परिचय कराते हैं।
कैसे पहुंचे?
गुजरात राज्य के सौराष्ट्र संभाग में जूनागढ़ से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गिरनार पर्वत। गुजरात देश के उन राज्यों में से एक है, जो बड़ी संख्या में देसी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां पहुंचने के लिए बस, ट्रेन और हवाई यात्रा की सुविधाएं हर समय उपलब्ध हैं। आप अपनी सुविधा के हिसाब से समय का चुनाव कर सकते हैं।